जम्मू और कश्मीर के शोपियां में मारे गए पांच आतंकियों में एक आतंकी कश्मीर यूनिवर्सिटी का असिस्टेंट प्रोफेसर निकला। इस आतंकी की पहचान प्रोफेसर मोहम्मद रफी भट्ट के रूप में हुई है। जांच के दौरान पता चला कि दो दिन पहले (शुक्रवार) को हिजबुल मुजाहिदीन नामक आतंकी संगठन में सक्रिय आतंकी के तौर पर शामिल हुआ था।
मोहम्मद रफी भट्ट हिजबुल मुजाहिदीन के इशारे पर किसी नापाक मंसूबे को अंजाम देता, इससे पहले वह मुठभेड़ में सुरक्षा बलों की गोलियों का शिकार हो गया। मोहम्मद रफी भट्ट के साथ इस मुठभेड़ में मरने वालों में हिजबुल मुजाहिदीन का शीर्ष कमांडर सद्दाम पैडर और तीन अन्य आतंकी भी शामिल हैं।
सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार मोहम्मद रफी भट्ट मूल रूप से मध्य कश्मीर के गंदेरबल जिले के चुंदिना इलाके का रहने वाला था। वह यूनिवर्सिटी के सोशियोलॉजी विभाग में अनुबंध पर बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर तैनात था। उन्होंने बताया कि मोहम्मद रफी भट्ट शुक्रवार से लापता था, जिसके बाद से पूरे इलाके में यह बात फैल चुकी थी कि वह आतंकी संगठन में शामिल हो गया है।
इन्हीं खबरों को सुनने के बाद आतंकी मोहम्मद रफी भट्ट के परिजनों ने यूनिवर्सिटी के अधिकारियों से मुलाकात की थी। आतंकी मोहम्मद रफी भट्ट के परिजनों से मुलाकात के बाद यूनिवर्सिटी के कुलपति ने जम्मू और कश्मीर के पुलिस के महानिदेशक को पत्र लिखकर जल्द से जल्द मोहम्मद रफी भट्ट को खोज निकालने का अनुरोध किया था। वहीं, मोहम्मद रफी भट्ट की गुमशुदगी को लेकर शनिवार में यूनिवर्सिटी में जमकर विरोध-प्रदर्शन किए गए थे।
मोहम्मद रफी भट्ट के परिवार से पुलिस ने की थी सरेंडर कराने की अपील
सुरक्षा बल और आतंकियों के बीच छिड़ी गोलियों की जंग के बीच इस बात की आशंका पुख्ता होने लगी थी कि मकान के भीतर मौजूद आतंकियों में एक आतंकी असिस्टेंट प्रोफेसर मोहम्मद रफी भट्ट भी है, जिसके बाद स्थानीय पुलिस ने मोहम्मद रफी भट्ट के परिजनों को भी मुठभेड़ स्थल पर बुलाया। पुलिस की अपील पर परिजनों ने मोहम्मद रफी भट्ट को सरेंडर करने के लिए खूब समझाने का प्रयास भी किया, लेकिन वह अपनी जिद पर अड़ा रहा। मोहम्मद रफी भट्ट की यह जिद सुरक्षा बलों की गोलियों का शिकार बनने के बाद ही खत्म हुई।
मुठभेड़ के दौरान दिखा हिजबुल और लश्कर का गठजोड़
सुरक्षा बलों की ताबड़तोड़ कार्रवाई ने आतंकी संगठनों की कमर तोड़ दी है। इसी का नतीजा है कि कोई भी आतंकी संगठन अपने बलबूते बने रह पाने में सक्षम नहीं रहा है। अपनी इस कमजोरी को दूर करने के लिए तमाम आतंकी संगठनों ने आपस में हाथ मिला लिए हैं। इस बात की भनक लंबे समय से सुरक्षा बलों को मिलती रही है। वहीं शोपियां में हुई मुठभेड़ के दौरान सुरक्षा बलों को लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन का गठजोड़ देखने को भी मिल गया। मुठभेड़ खत्म होने के बाद जब शवों की शिनाख्त की गई तो पता चला कि पांच आतंकियों में चार आतंकी हिजबुल मुजाहिदीन के हैं, जबकि एक आतंकी लश्कर-ए-तैयबा का लड़ाका था।
किस आतंकी संगठन से कौन सा आतंकी...
शोपियां मुठभेड़ में मारे गए पांचों आतंकियों में चार आतंकी हिजबुल मुजाहिदीन के थे। इनकी पहचान शीर्ष कमांडर सद्दाम पैडर, बिलाल मोहम्मद, तौसिफ शेख और प्रोफेसर मोहम्मद रफी भट्ट के तौर पर हुई है। वहीं, पांचवां आतंकी आदिल मलिक का संबंध लश्कर-ए-तैयबा से था। सद्दाम, बिलाल और आदिल शोफियां के ही रहने वाले हैं। जबकि, तौसिफ कुलगांव और प्रोफेसर मोहम्मद रफी भट्ट चुंदिना शहर का रहने वाला था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें